Class 10 Hindi Notes Pdf | Class 10 Hindi Notebook
1. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर– गोपियों के अनुसार राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह अपनी प्रजा को अन्याय से बचाए, प्रजा को न सताए तथा प्रजा के दु:खों को दूर करें। यही रजा का धर्म होना चाहिए।
2. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग निहित है?
उत्तर– गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने के पीछे यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव तुम बहुत बड़े अभागे हो, भाग्यहीन हो क्योंकि कृष्ण के समीप रहकर उनसे प्रेम नहीं किया। कृष्ण को अपना नहीं बना सका, उनके प्रेम से बिल्कुल अलग रहा।
3. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया?
उत्तर– गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को निम्न प्रकार से व्यक्त किया है:-
(i) गोपियों ने स्वयं को चिट्ठी और कृष्ण को गुड़ मानकर उस पर लिपटी हुई चिट्ठी के रूप में अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
(ii) गोपियों ने स्वयं को हारिल पक्षी मानकर कृष्ण को लकड़ी का सहारा मानकर अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
(iii) गोपियों ने सोते जागते स्वप्न देखते दिन-रात कृष्ण का रट लगाकर अपने प्रेम को व्यक्त किया है। (iv) गोपियों ने अपने मन, कर्म, वचन और ह्रदय में धारण कर अपने प्रेम को व्यक्त किया है।
4. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्थ के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्थ की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर– गोपियों वाक्चातुर्थ थी वे बात बनाने में किसी को भी पछाड़ देती थी। इस पाठ में गोपियों ने ज्ञानी उद्धव को अपनी बातों से हराने का काम की है। इस प्रकार गोपियों की बोली में बहुत गुण एवं विशेषताएं थी। उनकी बोली में कृष्ण के प्रेम का सच्चा ज्वाला था। उनकी वाणी में इतनी आवेग था कि उद्धव की बोलती बंद कर देती थी। उद्धव ज्ञानी होते हुए भी गोपियों के सामने गूंगा पड़ जाते थे।
5. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस किस से की गई है?
उत्तर– उद्धव की व्यवहार की तुलना कमल के पत्तों से, जल में पड़ी तेल की मटकी से उद्धव के व्यवहार की तुलना की गई है।
6. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा वैसे लोगों को देने की बात कही है जिनके मन स्थिर नहीं है, जिनके मन में भटकाव, दुविधा, भरम और चक्कर हैं। जिसका मन चंचल है। जिनके हृदयों में कृष्ण के प्रति सच्चा प्रेम नहीं है।
7. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम कैसे किया है?
उत्तर– गोपियां कृष्ण की प्रतीक्षा में बैठी थी कि कृष्ण हम लोगों से मिलने अवश्य आएंगे या अपना प्रेम संदेश अवश्य भेजेंगे इसी आश में गोपियां ने विरह की वेदना सह रही थी, परंतु कृष्ण द्वारा भेजा गया संदेश गोपियों तक पहुंचा तो गोपियां तड़प उठी और उनके अंदर वीरह थी वह इस संदेश को सुनकर समझ गई कि कृष्ण हम लोगों से मिलने नहीं आएंगे। अब हम लोगों को इसी योग संदेश को सुनकर अपनी दु:ख को शांत करना होगा। इस प्रकार यह योग संदेश विरह अग्नि में घी का काम किया।
8. परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन कौन से तर्क दिए हैं?
उत्तर– परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर लक्ष्मण ने तर्क दिया कि हमने बचपन में ऐसे धनुष कितने तोड़ डाले हैं परंतु आपने इतना क्रोध कभी नहीं किया परंतु इस धनुष के टूट जाने पर आप इतना क्रोध क्यों कर रहे हैं हमारे नजर में सभी धनुष तो एक ही समान है राम के छुते ही यह धनुष टूट गया इसमें राम का क्या दोष है।
9. लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएं बताई है?
उत्तर– लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएं बताई है।
(i) वीर योद्धा युद्ध भूमि में अपनी वीरता को दिखाकर युद्ध करते हैं।
(ii) वीर योद्धा युद्ध भूमि में अपनी बड़ाई अपने ही मुंख से नहीं करते हैं।
(iii) वीर योद्धा युद्ध भूमि में धैर्यवान और क्षमाशील धारण करते हैं।
(iv) वीर योद्धा युद्ध भूमि में अपनी प्रसिद्धि को दिखाते हैं।
(v) वीर योद्धा युद्ध भूमि में शिष्टाचार को दिखाते हैं।
10. परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएं हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्द में लिखिए।
उत्तर– राम का स्वभाव– राम स्वभाव से कोमल विनम्र है उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा और आदर हैं वे गुरुजनों के सामने झुकना अपना धर्म समझते हैं। इस प्रकार राम परशुराम के क्रोध करने पर उनके सामने स्वयं को उनका दास कहते हैं। राम इस प्रकार साफ स्वभाव वाला एक महान पुरुषोत्तम थे। लक्ष्मण का स्वभाव– लक्ष्मण स्वभाव से अत्यंत क्रोधी, उग्र और प्रचंड स्वभाव के थे। उनके जुबान तलवार की धार की तरह तेज था। परशुराम के व्यंग वचनों को लक्ष्मण कठोरता के साथ तर्क देते थे। इस प्रकार उनकी वाणी में कठोरता थी वे राम के स्वभाव से एकदम विपरीत थे।
11. राम लक्ष्मण परशुराम संवाद पाठ के आधार पर तुलसीदास के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियां लिखिए।
उत्तर– तुलसीदास के भाषा सौंदर्य – तुलसी दास रस सिद्ध कवि हैं उनकी काव्य भाषा में रस की खान है उन्होंने अवधी भाषा में रामचरितमानस की रचना किए हैं। इसमें चौपाई, दोहाशैली को अपनाया गया है। इस रामचरित्रमानस अवधी भाषा अलंकारों से सुसज्जित है। इसमें ग्यात्मक गुण विद्वान हैं। इसमें नारकीय की गुणों का समावेश प्रभावशाली धंग से हुआ।
12. कवि ने ‘श्री ब्रजदूल्ह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा है?
उत्तर– कवि ने ‘श्री ब्रजदूल्ह’ श्री कृष्ण के लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक इसलिए कहा गया है क्योंकि श्री कृष्ण इस संसार के चारों ओर अंधकार को दूर कर प्रकाश को फैलाते हैं। श्रीकृष्ण अपनी सुंदरता से सभी के मन को हर लेते हैं तथा सभी के कष्टों को दूर करते हैं इसलिए श्री कृष्ण को संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा गया है।
13. चांदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन किन रूपों में देखा है?
उत्तर– चांदनी रात की सुंदरता को कवि ने सुधा मंदिर, दूधिया फैन, मोतियों की ज्योति, फूलों के रस, दर्पण तथा प्यारी राधिका के रूपों में देखा है।
14. दूसरे कविता के आधार स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल रूप का वर्णन परंपरागत बसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर– दूसरे कवित में बसंत ऋतु का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से भिन्न है इसमें बसंत ऋतु के बाल रूप का वर्णन बसंत को छोटा बालक पेड़ के डाली को पलना, नए पतियों को विस्तार फूलों को झबला, पवन को पलना को हिलाने वाला नायिका और परागकणों को नजर उतारने वाला राइनोन, कोयल को गीत सुनाने वाला, मोर तोता को बातचीत करने वाला, सुबह को चुटकी बजाकर जगाने वाला मानकर कवि देव ने बसंत ऋतु के बाल स्वरूप का वर्णन किया है जो परंपरागत वसंत वर्णन से भिन्न है।
15. तीसरे कवित के आधार पर बताइए कि कवि ने चांदनी रात की उज्जवलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानो का प्रयोग किया है?
उत्तर– तीसरे कवित के कवि ने चांदनी रात को उज्जवलता का वर्णन करने के लिए सुधा मंदिर, दुधिया झाग, मोतियों की ज्योति, बेले की फूल, दर्पण, चंद्रमा आदि विभिन्न उपमानो का प्रयोग किया है।
16. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएं बताइए।
उत्तर– पठित कविताओं के आधार पर कवि देव के भाषा अलंकारों से सुसज्जित हैं। इस पाठ में कवि ने शब्द अलंकार अर्थ अलंकार का प्रयोग किया है। जिसमें कवि परंपरागत वर्णन से हटकर नवीन (नये) रूप में पूर्णिमा की चांदनी रात श्री कृष्ण के सौंदर्य तथा वसंत ऋतु का वर्णन बाल रूप में किया है। इसमें ब्रज भाषा का प्रयोग किया है। सवेया एवं कवित छंद में ग्योता का गुणों का वर्णन किया गया है।
17. कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
उत्तर– कवि अपने जीवन की दुख भरी कहानी का वर्णन नहीं करना चाहता है। लोग जीवन की गाथा को सुनकर हंसी उड़ाएंगे। वह संसार में मजाक का पात्र नहीं बनना चाहते हैं। उसके जीवन में बहुत दु:ख आया है यदि इसे आत्मकथा के रूप में लिखते हैं तो इसे याद कर उन्हें बहुत कष्ट महसूस होगा। इसलिए कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहते हैं।
18. आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में सभी समय भी नहीं ऐसा कभी क्यों कहता है?
उत्तर– आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में अभी समय भी नहीं कवि ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि वह अपनी आत्मकथा सुनाने का उचित समय नहीं मानते हैं। उन्हें पता है कि उनका जीवन दु:खों और कष्टों से बीता है। जिसे याद कर वह दु:खी नहीं होना चाहते हैं।
19. कवि ने जो सुख का स्वपन देखा था उसे कविता में किस भागों में अभिव्यक्त किया है?
उत्तर– कवि ने जो सुख का स्वपन देखा था उसे कविता में इस रूप में व्यक्त किया है कि वह अपनी प्रेमिका को गालिगंन में लेने का सुख देखा था। उसमें सपना देखा कि उसकी प्रेमिका उसकी बाहों में है। वे मधुर चांदनी रातों में उनसे चुलबुली बातें कर रही है। वह खिलखिला कर हंस रही है और मनो विनोद कर रही है।
20. उज्जवल गाथा कैसे गाऊ मधुर चांदनी रातों की कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर– प्रस्तुत कथन के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि वह अपने सुखद क्षणों की गाथा को कैसे व्यक्त करूं अपनी पत्नी के साथ बीते सुखद क्षणों का वर्णन करना मेरे लिए मुश्किल है। वह समय मेरे लिए सबसे सुखद था जीवन में दोबारा इस सुखद क्षणों की कल्पना नहीं की जा सकती है।
21. उत्साह कविता में बादल किन किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
उत्तर– उत्साह कविता में बादल इच्छा, शक्ति, क्रांति, नवजीवन, नई कल्पना, विनाश और क्रांति चेतना को अर्थों की ओर संकेत करता है।
22. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने की स्थान पर ‘गिरने’ के लिए क्या कहता है क्यों?
उत्तर– कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गरजने के लिए कहता है क्योंकि बादल का गरजना क्रांति और नए जीवन का प्रतीक मानता है। बादल का गर्जना क्रांति का सूचक माना जाता है। इसलिए कवि बादल को फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर गिरने के लिए कहता है।
23. कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर– कवि की आंख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि फागुन की सुंदरता इतनी बढ़ गई है कि कवि के आंखों और ह्रदय में सामा नहीं पा रही है। प्रकृति में रंग–बिरंगे फूल अपनी मंद–मंद –गंध बिखेर रही है। पेड़–पौधे की पत्तियां हरी–भरी एवं ललिमा युक्त नजर आ रहे है। चारों तरफ सुंदरता का दृश्य नजर आ रहा है। इसलिए कवि की आंख फागुन की सुंदरता से नहीं हट रही है।
24. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओ से भिन्न होता है?
उत्तर– फागुन के महीना में समय एवं मौसम बहुत सुहावना होता है न तो अधिक ठंडी और न तो अधिक गर्मी पड़ती है। चारों तरफ हरियाली फैली हुई होती है। पेड़ पौधे में रंग बिरंगे फूल खिले होते हैं। फसलें पक्की हुई मन मोह लेती है। जिसे देखकर किसान का मन खुश होता है लेकिन अन्य ऋतुओ में इस तरह का मौसम प्रकृति की सुंदरता नहीं होती है जो फागुन महीनों से भिन्न होता है।
25. सेनानी ना होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर– चश्मे वाला एक बुड्ढा मरियल सा लंगड़ा आदमी था जिसमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी थी वह हमेशा गांधी टोपी और काले रंग का चश्मा पहनता था उसकी इस देशभक्ति की भावना को देखकर लोग कैप्टन कहते थे।
26. नेता जी के मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर– मेरे विचार से चौक चौराहे पर लगी मूर्ति के प्रति हमारे तथा दूसरे लोगों का यही उत्तरदायित्व होने चाहिए कि उस मूर्ति को देखभाल करना चाहिए उसे छतिया बर्बाद होने से बचाना चाहिए उसके प्रति हमेशा श्रद्धा की भावना होनी चाहिए तथा उनके देशों को अमर करना चाहिए।
27. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन सा चित्र रहा होगा अपनी कल्पना से लिखिए?
उत्तर– जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन के बारे में या चित्र रहा होगा कि अवश्य ही कैप्टन बलशाली शरीर का युवक होगा वह मनमौजी मिजाज का तथा देशभक्ति की भावना से पूर्ण होगा यह दूसरों को देशभक्ति का सीख देने वाला नेता जी का साथी अथवा आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही होगा।
28. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की?
उत्तर– भगत ने अपने बेटे की मृत्यु को ईश्वर की इच्छा मानकर उसका सामान्य किया भगत ने बेटे की मृत्यु को आत्मा परमात्मा का शुभ मिलन मानकर उत्सव के रूप में मनाया सबसे पहले मृत व्यक्ति के शरीर को आंगन में एक चटाई पर लिटा कर सफेद कपड़े से ढक दिया फूलों तुलसी दल उसके ऊपर भी कर दिया उसके सिम गानों पर एक चिराग जला कर रख दिया और वहीं पर आसन जमाकर गीत को गाने लगा गाते गाते अपनी पुत्रवधू के स्थान पर उत्सव मनाने को कहा उसे समझाया कि आत्मा परमात्मा से जा मिला इससे बढ़कर आनंद क्या हो सकता है।
29. बाल गोविंद भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर– बाल गोविंद भगत की दिनचर्या लोगों को हैरान कर देती थी क्योंकि भगत गिर हस्त होते हुए भी साधु थे वह प्रतिदिन कबीरपंथी वेशभूषा में रह कर गीतों को गाते थे भगत जी के जीवन में अचरज की बात यह थी कि अपने पुत्र की मृत्यु पर रोने के बजाय गीत गाकर उत्सव के रूप में मनाए भगत भूल कर भी किसी से कुछ नहीं लेते और ना बिना पूछे किसी की चीजों को छूते थे यहां तक कि दूसरे के खेतों में सोच भी नहीं करते थे इस प्रकार बाल गोविंद भगत की दिनचर्या लोगों के अध्यक्ष कर देने वाली थी।
30. भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत करें?
उत्तर– बाल गोविंद भगत मनचले कद के गोरे चिट्टे आदमी थे उनका उम्र लगभग 7 वर्ष से ऊपर का था उनके बाल पक गए थे वह सन्यासी की तरह लंबे दाढ़ी नहीं रखते थे उनका सफेद चेहरा सफेद बालों से जगमगाता रहा था वह कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे कमर में एक लंगोटी और सिर पर कबीरपंथी की टोपी पहनते थे जब ज्यादा का समय आता तब एक कालिकंबल ऊपर से और लेते थे वे मस्तक पर हमेशा रामानंदी तिलक लगाते थे उनके गले में तुलसी की जड़ों की माला बंधी रहती थी इस प्रकार उनका वेशभूषा कबीरपंथी के समान थे।
31. लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भाव से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है।
उत्तर– लेखक को नवाब साहब के हाव भाव से यह महसूस हुआ कि लेखक तनिक भी बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं है क्योंकि जब लेखक ट्रेन के सेकंड क्लास के एक छोटे से डिब्बे को खाली समझ कर दौड़ कर यह गया तो वहां 1 वर्ष पर लखनऊ के नवाब नस्ल के सफेद पोशाक सज्जन को देखा जो लेखक से आंखें मुड़कर असंतोष का भाव दिखाया लेखक को लगा कि वह संगति के लिए उत्सुक नहीं है लेखक को देखकर नवाब साहब संकोच का अनुभव करने लगा इन हाव भाव से पता चला कि वह लेखक से बातचीत करने में उत्सुक नहीं है।
32. नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है इस प्रक्रिया को अपने शब्दों में प्रस्तुत करें?
उत्तर– नवाब साहब ने सबसे पहले हीरो को लौटे कि पानी से एक एक कर धोया खिले धोने के बाद उसे अच्छी तरह साफ तालियों से पूछा और जेब से एक चाकू निकालकर खीरों के सिर को काट कर उस से झाग निकाला इसके बाद चीजों को छीलकर और उसे अनेक वाक्य बना कर तो लिया पर सजा दिया इसके बाद जीरा मिला नमक और लाल मिर्च बारी-बारी खीरों के ठीक ऊपर छिलका इसके बाद खीरों को नमक से सुनकर उसका रस वादन लेकर खिड़की से खींचो को फेकता गया इस प्रकार खीरे खाने की तैयारी का चित्र प्रस्तुत किया।
33. लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा?
उत्तर– लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है क्योंकि वह सभी भारतीय को अपना तो की भावना से देखते थे फादर बुल्के के मन में सभी लोगों के लिए सद्भावना और प्रेम मोहब्बत थी वह तरल हृदय वाले व्यक्ति थे कभी किसी से कुछ नहीं चाहते थे बल्कि दूसरों को देने का काम करते थे वह गरीब से अमीर लोगों के उत्सव एवं संस्कार में जाकर संतानों और प्यार देते थे वह हर व्यक्ति के सुख-दुख के साथी थे उनका हृदय हमेशा दूसरों के समय में पिघलता रहता था इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहा है।
34. फादर बुल्के भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर– फादर कामिल बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग थे क्योंकि उन्होंने भारत में रखकर अपने आपको पूरा भारतीय बना लिया था जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको अपने देश की याद आती है तब उसने जवाब दिया था कि मेरा देश अब तो भारत है भारत बुल्के इस भारतीय मिट्टी में रच बस गए थे उन्होंने भारत में रहकर रामकथा के उत्पत्ति और उसके विकास पर शोध कार्य किया भारत देश में रहकर पादरी की पढ़ाई तथा बी0 ए0 तथा एम0ए0 की पढ़ाई पूरा किया और हिंदी तथा अंग्रेजी में शब्दकोश तैयार किया वे 35 वर्षों तक भारत में रखकर यहां के लोगों को स्नेह आशीर्वाद प्रदान किया इस आधार पर कहा जा सकता है फादर कामिल बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग थे।
35. फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व को अपने शब्दों में लिखें?
अथवा
इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखें?
उत्तर– फादर कामिल बुल्के एक सन्यासी थे वह ईसाई पादरी थे इसलिए हमेशा एक सफेद चोगा धारण करते थे उनका रंग गोरा था चेहरे पर सफेद झलक देती भूरी दाढ़ी थी आंखें मिली थी उनको सभी भारतीय से स्नेह और प्रेम था सबके साथ अपनत्व का व्यवहार करते थे सभी के घरों में जाकर उनके सुख और दुख को समझते थे सबों को प्यार और आशीर्वाद से भर देते थे इस प्रकार फादर बुल्के का जीवन सभी के लिए अनुकरणीय था।
36. लेखिका व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?
उत्तर– लेखिका मन्नू भंडारी के व्यक्तित्व पर सर्वप्रथम अपने पिता का प्रभाव पड़ा लेखिका के पिता के घर पर राजनीतिक पार्टियों का जमघट लगे रहते थे और बहस होती थी उनके पिताजी मनु भंडारी को वही बैठने के लिए बोलते थे ताकि देश में चारों तरफ हो रहे घटनाएं को जान सके इस प्रकार लेखिका के मन पर देशभक्ति का प्रभाव पड़ा इसके बाद प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा जिन्होंने लेखिका के मन में क्रांतिकारी के भावना पैदा की जिससे लेखिका चारदीवारी से बाहर आकर सड़कों पर भाषण बाजी करना इस प्रकार लेखिका के मन में देश प्रेम का भावना भरने का काम उसके पिताजी एवं शिक्षिका शीला अग्रवाल ने की।
37. मनुष्य के जीवन में आस पड़ोस का बहुत महत्व होता है बड़े शहरों में रहने वाले लोग पराया पड़ोस कल्चर से वंचित रह जाते हैं अपने अनुभव के आधार पर लिखिए?
उत्तर– मनुष्य के जीवन में अपने आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है लेकिन बड़े शहरों के लोग अपने घर ही बंद रहने के कारण पुरुष कल्चर से वंचित रह जाते हैं क्योंकि अपने दैनिक जीवन का कुछ समय आस-पड़ोस के साथ नहीं बिताते हैं इसलिए वे उनके आचार विचार भाषा रहन-सहन से परिचित नहीं हो पाते हैं।
38. लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टक राहत को अपने शब्दों में लिखिए?
उत्तर– लेखिका को अपने पिता से वैचारिक टक राहत रखती थी क्योंकि लेखिका क्रांतिकारी दिनों में प्रभात फेरिया हड़ताली जुलूस और भाषण बाजी भाग लेना चाहती थी किंतु उनके पिताजी यह सब नहीं देखना चाहते थे लेकिन लेखिका के मन में क्रांतिकारी जोश थी वह घर की सीमा में रहना नहीं चाहते थे इसी कारण लेखिका को अपने पिता से वैचारिक टकराहट होती रहती थी।
39. तब कि शिक्षा प्रणाली और अब की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है स्पष्ट करें?
उत्तर– तब की शिक्षा प्रणाली में शिक्षा कुटिया के आश्रम में दी जाती थी जहां गुरु विद्यार्थी को शिक्षा देते थे उसके बदले में शिष्य गुरु को सेवा करते थे शिक्षा प्राप्ति के साथ-साथ आश्रम विभिन्न प्रकार के काम भी किया करते थे परंतु आज की शिक्षा प्रणाली में छात्र छात्रा में कोई भेद नहीं किया जाता है सभी एक ही कक्षा में बैठकर शिक्षा प्राप्त करते हैं पहले सहशिक्षा तब पर चलन नहीं था परंतु आज सर शिक्षा में पढ़ना फैशन बन गया है।
40. स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं कुतर्क वादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया अपने शब्दों में लिखें?
उत्तर– स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं कुर तक वादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने इस प्रकार किया है कि स्त्री शिक्षा द्वारा ही समाज का कल्याण हो सकता है स्त्री शिक्षा का विरोध करना समाज को धोखा देना है आज हमारे समाज में लड़कियां शिक्षा के क्षेत्र में लड़कों से पीछे नहीं है जो लोग स्त्रियों को पढ़ाने को अनर्थ मानते हैं तो पुरुष को पढ़ाना भी अनर्थ है क्योंकि पुरुष भी बम फेंक ना नर हत्या करना डाके डालना छोरियां करना घोष लेना आदि अपराध करते हैं इसलिए स्त्री शिक्षा का विरोध करना अनर्थ है उन्हें समाज की उन्नति के लिए स्त्रियों को शिक्षा देना जरूरी है स्त्री शिक्षा को अनर्थ कहना एक मिथियावाद है।
41. पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अनपढ़ होने का सबूत है पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर– पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृतिक भाषा में बोलना उनके अनपढ़ होने का सबूत नहीं है क्योंकि वह संस्कृत नहीं बोल सकती थी इसलिए प्राकृत भाषा बोलती थी जिस प्रकार आज हिंदी बंगाल आदि प्राकृत भाषाएं हैं और इस प्राकृत भाषा का प्रयोग किया जा रहा है यह अनपढ़ होने का सबूत नहीं है ठीक उसी प्रकार प्राचीन काल में प्राकृत भाषा बोलना महिलाओं के लिए अनपढ़ होने का सबूत नहीं है।
42. शहनाई की दुनिया में डुमराव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर– उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का जन्म इसी डुमराव गांव में हुआ था उनके परदादा भी इसी डुमराव गांव के निवासी थे तथा इसी डुमराव गांव में शहनाई में प्रयोग किया जाने वाला रीड नरकट घास सोन नदी के किनारे पाई जाती है इस नरकट के द्वारा ही शहनाई बजाई जाती है इस प्रकार शहनाई और डुमराव एक दूसरे के लिए उपयोगी है इसी कारण शहनाई की दुनिया में डुमराव को याद किया जाता है।
43. बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?
उत्तर– शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान शहनाई का अच्छे एवं प्रसिद्ध स्वागत है भारत में जितने भी शहनाई वादक हुए उन शब्दों में बिस्मिल्लाह खान का नाम सबसे आगे है उन से बढ़कर आज तक सुरीला शहनाई वादक और कोई नहीं हुआ शहनाई मंगल धोनी का वाद्य यंत्र है इसे बजने के बाद मंगल का संकेत मिलता है इसलिए बिस्मिल्लाह खान को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक कहा गया है।
44. काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्लाह खान को व्यथित करते हैं?
उत्तर– काशी में पुराने परंपराएं लुप्त हो गई थी खानपान की पुरानी चीजें और विशेषताएं नष्ट हो गई थी मलाई बर्फ वाले गायब हो गए थे कुलसुम हलवाई की देश की की कचौड़ी एवं जिलेबी भी लुप्त हो चुकी थी इसके साथ-साथ संगीत नृत्य साहित्य विलुप्त हो चुके थे गायकों के लिए कोई आदर्श सत्कार एवं रियाज करने का कोई केंद्र नहीं रह गया था उन्हीं सभी काशी में भी परिवर्तन बिस्मिल्लाह खान को व्यथित करते थे।
45. बिस्मिल्लाह खान के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया है?
उत्तर– बिस्मिल्लाह खान के जीवन में उनकी संगीत साधना को समृद्ध करने में बहुत लोगों का योगदान रहा जिसमें रसूलन बाई फूलन बाई मामू जान अली बख्श खान नाना कुलसुम हलवाई तथा अभिनेत्री सुलोचना आते हैं रसूलन बाई और तुलन बाई उनकी जीवन को संगीत की ओर खींचा उनके द्वारा गाई गई धनगिरी थप्पे और दादरा सुनकर खान जी की ललक संगीत में जागे तथा नाना मामा द्वारा बनाई जाने वाली शहनाई के मधुर स्वर को सुनकर शहनाई बजाने का ललक उनमें जागी कुलसुम हलवा इन और सुलोचना हीरोइन फिल्म ने बिस्मिल्लाह खान के जीवन साधना को समृद्ध किया।
46. बिस्मिल्लाह खान कला के अनन्य उपासक थे तर्क सहित उत्तर दीजिए?
उत्तर– बात सत्य है कि बिस्मिल्लाह खान कला के अनन्य उपासक थे क्योंकि 80 वर्षों तक लगातार शहनाई बजाने का काम किया उन से बढ़कर शहनाई बजाने वाला भारत भर में कोई नहीं हुआ फिर भी वह अंत तक खुदा से सच्चा सूर्य की नेमत मांगते रहे ऐसे सुर जिससे श्रोता गण सुनकर उनकी आंखों में आंसू पैदा कर देता है उन्होंने अपने आपको जीवन को कभी पूर्ण नहीं माना वह अपने आप पर गुस्सा आते थे कि हमें अभी तक शहनाई बजाने सही ढंग से नहीं आया इसलिए जीवन भर बिस्मिल्लाह खान अभ्यास साधना को जारी रखें इससे पता चलता है कि बिस्मिल्लाह खान कला के अनन्य उपासक थे।
47. सुषिर वाद्य से क्या अभिप्राय है शहनाई को सुषिर वादों में शाह की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर– सुराग वाले वाद्य यंत्र जिसके फुटकर बजाया जाता है उसे सुषिर वाद्य यंत्र कहते हैं इस प्रकार सुराख वाला वाद्य यंत्रों में शहनाई सबसे मोहक और सुरीली होती है इसलिए इसे सुषिर वाद्य यंत्रों में शाह की उपाधि दी गई है।
48. लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक क्यों नहीं बन पाई है?
उत्तर– लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समाज इसलिए नहीं बन पाई है क्योंकि इन दोनों शब्दों के साथ विशेष लग जाते हैं जैसे भौतिक सभ्यता अध्यात्मिक सभ्यता हिंदू संस्कृति मुस्लिम संस्कृति आदि विशेषण लगने के कारण लेखक की दृष्टि में सभ्यता और संस्कृति की सही समझ अब तक नहीं बन पाई है।
49. वास्तविक अर्थ में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है?
उत्तर– वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति उसे कहा जाता है जो किसी नई चीज की खोज करता है उनकी बुद्धि विवेक किसी नई चीज का दर्शन करता है तो वह व्यक्ति वास्तविक संस्कृत व्यक्ति कहलाता है।
50. आग की खोज बहुत बड़ी खोज मानी जाती है इस खोज के पीछे रही प्रेरणा के मुख्य स्रोत क्या रहे होंगे?
उत्तर– बात सत्य है कि आग की खोज एक बहुत बड़ी खोज मानी जाती है क्योंकि इस खोज से पहले घर घर में चूल्हा नहीं जलता था मानव समाज को अग्नि देवता का दर्शन नहीं हुआ था मनुष्य पेट की भूख को कच्चा भोजन चबाकर शांत करता था किंतु आज के अविष्कार की प्रेरणा पेट की ज्वाला शांत करना मुख्य कारण रही होगी।
51. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना करना क्यों भूल जाता है
उत्तर– भोलानाथ बचपन में खेलने का शौकीन था उन्हें साथियों के साथ खेलना तमाशा करना नाटक करना बहुत पसंद था वह घर के सामने अपने साथियों के झुंड में रहकर अनेक प्रकार के खेलों को खेलना करता था जब अपने साथियों को जून में खेलते देखता था तो भोलानाथ अपने साथियों को देखकर खेलना चाहता था इसलिए भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता था।
52. बच्चे माता पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं
उत्तर– बच्चे अपने माता-पिता के प्रति उनके साथ खाना खाकर माता-पिता के साथ सोकर माता-पिता के साथ खेलकर माता-पिता को चुम्मा दे कर माता-पिता के गुण एवं कंधों पर बैठकर माता-पिता को तारीफ कर अपने प्रेम को अभिव्यक्त करते हैं।
53. माता का अंचल पाठ में माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर– प्रस्तुत पाठ में माता-पिता का वात्सल्य बहुत ही सरल और मनमोहक रूप से व्यक्त हुआ है पिता अपने बच्चे के साथ शैतानी करना मुझे खींचना कुश्ती लड़ना कंधे पर बैठना आदि क्रियाएं बच्चे करके पिता के प्रति वात्सल्य को दिखाना का काम करता है और पिताजी अपने बच्चे के शैतानी हरकत ए तथा तमाशे से तंग नहीं आते हैं बच्चे द्वारा मुंह नोचने पर पिता बनाती नकल करते हैं इस माता भी अपने बच्चे के प्रति वात्सल्य को व्यक्त करता है मां बच्चे को मुंह भर कौर खिलाने उसे नहलाना चोटी गुटना काजल लगाना रंगीन कुर्ता धोती पहना ना मां का वात्सल्य है इस प्रकार माता-पिता के लिए बच्चों को खुशियों का भंडार है बच्चा के बिना माता-पिता का जीवन नीरस एवं सुना होता है।
54. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाले खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप इसलिए थे क्योंकि उस दिन भारत में कहीं भी उद्घाटन सभा अभिवादन का आयोजन नहीं हुआ था ना कहीं फीता काटा गया था हवाई अड्डे पर भी स्वागत समारोह नहीं हुआ था इसी कारण जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप थे।
55. अखबारों में जिंदा नाक लगाने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया
उत्तर– अखबारों में जिंदा नाक लगाने की खबर को बड़ी कुशलता से छिपा लिया अखबारों में बस इतना ही छिपा की नाक का मसला हल हो गया है दिल्ली के इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक लग रही है।
56. रानी एलिजाबेथ के दर्जी की परेशानी का क्या कारण था उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएंगे
उत्तर– रानी एलिजाबेथ के दर्जी की परेशानी का कारण यह था कि रानी एलिजाबेथ हिंदुस्तान पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर कब क्या पहनेगी रानी के लिए हिंदुस्तान से रेशमी कपड़ा 400 पाउंड की खर्चा की लागत पर मंगवाया गया था जिस सूट की सीने की परेशानी दर्जी को था सूट खराब से लाने पर रानी के नाराज होने का डर दर्जी को था।
57. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किया
उत्तर– जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार बहुत प्रयास किया उन्होंने पत्थर की तलाश करने के लिए हिंदुस्तान के प्रत्येक पहाड़ पर गया पर वैसा पत्थर ना मिला उसके बाद जॉर्ज पंचम की नाक की नाप लेकर भारतीय नेताओं के मूर्तियां को जांचा परखा लेकिन नाक कान आप न मिल पाया इसके बाद मूर्तिकार ने 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियां के नाक को नापा परंतु कोई भी सेट नहीं किया अंत में मूर्तिकार ने जिंदा नाक लगाने के लिए उसकी खोज में लग गया।
58. नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का घोतक है यह बात पूरी व्यंग रचना में किस तरह ऑफ कर आई है लिखिए
उत्तर– बात सत्य है की नाक मान सम्मान और प्रतिष्ठा की घोतक है जॉर्ज पंचम की भारत पर विदेशी शासन के प्रतीक हैं उनकी कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है यह बात पूरी व्यंग रचना में वह कर सामने आई है जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लगाया जाने या न लगाए जाने पर कई आंदोलन का जिक्र है जो बैंक की ओर संकेत करता है इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के स्वागत में जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक ना होना मान सम्मान व प्रतिष्ठा ना रहने की परिचायक है। अगर नाक होगी तभी भारत की नाक बचेगी यह मयंक किया गया है 40 किलो की जनता में से किसी एक की जिंदा नाक लाट पर लगाकर महारानी का मान सम्मान करना और जिंदा व्यक्ति का नाक कटना अनुचित एवं पाप है अतः इस पाठ में ना मान सम्मान व प्रतिष्ठा का घोतक है।
59. और देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट होने लगा नई दिल्ली के कायापलट के लिए क्या क्या प्रयास किए गए होंगे
उत्तर– इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ के हिंदुस्तान दौरे पर पधारने से दिल्ली का कायापलट होने लगी होगी जिसमें चौक चौराहे और सड़कों को साफ किया गया और बनवाया गया होगा ऐतिहासिक इमारतों को रंग रोगन किया गया होगा पालम के हवाई अड्डे पर रानी की स्वागत के लिए तैयारी की गई होगी चौक चौराहे पर फोटोग्राफर एवं फौजी को तैयार किया गया होगा तालाबों को जांच पंचम की नाक लगाने के लिए साफ सुथरा कर पानी भरा गया होगा।
60. गणतोक को मेहनतकश बादशाहो का शहर क्यों कहा गया है
उत्तर– गणतोक शहर को सुंदर बनाने के लिए यहां के श्रमिक लोग कठिन परिश्रम करते हैं श्रमिक लोग अपनी मेहनत से पहाड़ों पर भी रास्ता बनाते हैं अपने काम धंधे में लग कर खुशी का जीवन व्यतीत करते हैं अपनी मेहनत के बल पर पहाड़ी क्षेत्रों में भी फसलों को पैदा कर अपना जीवन खुशी से यापन करते हैं इसलिए गणतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर कहा गया है।
61. झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंगतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था
उत्तर– झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका के मन में सम्मोहन जगा रहा था जब लेखिका का रात में गंगतोक शहर को रंगीन रोशनी से जगमग आते हुए देखा तो उसे लगा कि आसमान के सारे तारे जमीन पर टीम टीम आने लगे हैं गंतोक शहर की खूबसूरती रात में लेखिका के मन को मोहित कर दिया था रात में इस गंगतोक को देखकर उनकी चेतना गहराइयों में डूब गई गम तो शहर का दृश्य लेखिका को बहुत सम्मोहित किया लेखिका को आंतरिक सुख की प्राप्ति हुई।
62. साना साना हाथ जोड़ी यात्रा वृतांत में लेखिका ने हिमालय के जिन जिन रूपों का चित्र खींचा है उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर– सना सना हाथ जोड़ी पाठ में लेखिका ने हिमालय के विभिन्न रूपों को चित्रित किया है लेखिका ने जब हिमालय का दर्शन करता है वहां छोटे-छोटे पहाड़ियां विराट रूप एवं वैभव के साथ चमकता दिखाई देता है हिमालय का रूप लेखिका को पल-पल बदलता हुआ दिखाई देता है हिमालय लेखिका को काला कंबल और है जैसा लगता है हिमालय लेखिका को स्वर्ग समान दिखाई पड़ता है हिमालय के चारों और चांदी से चमकते हुए बर्फ दिखाई पड़ता है वहां पर हिमालय से निकली हुई नदियां लेखिका को मोहित कर देती है इस प्रकार हिमालय का दर्शन लेखिका को कभी नहीं भूलने वाली स्वपन जैसा लगती है।
63. सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों को योगदान होता है उल्लेख करें
उत्तर– सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में अनेक लोगों का योगदान होता है जिसमें कुशल गाइड ड्राइवर सहयात्री तथा भ्रमण क्षेत्र में निवास करने वाले विभिन्न लोग फोटोग्राफर दुकानदार मूर्तिकार इन सभी लोगों का योगदान होता है इन शब्दों का मुख्य घटक तो स्वयं मानव ह्रदय होता है जो प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव कराने में विशेष सहयोगी होता है।
64. प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए
उत्तर– प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को पहाड़ी पर पत्थर तोड़ती हुई औरतों का दृश्य दिखाई दिया औरतें अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सड़क बनाने के काम में लगी हुई थी छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ मवेशी चराने लकड़ी धोने का काम कर रहे थे हैं यह सभी दृश्य को देखकर लेखिका के मन में अफसोस महसूस हुई और यह दृश्य लेखिका के मन को झकझोर गए।
65. प्राकृतिक के उस विराट और आनंद स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है
उत्तर– प्रकृति के रूप में हिमालय का विराट एवं आनंद स्वरूप को देखकर लेखिका को अनुभूति होती है कि हिमालय के तराई में छोटे-छोटे पर्वती अपना विशाल रूप बनाते जा रहे हैं वादियां चौड़ी होती जा रही है रंग बिरंगे फूल मुस्कुराने जैसे प्रतीत हो रहे हैं तथा हिमालय का सुहाने मौसम सभी सैलानियों को मनमोहित कर रहे हैं इस प्रकार लेखिका प्रकृति के अनंत और विराट स्वरूप को देखकर इस प्रकार महसूस हो रहा है कि सारे दृश्य को अपने हृदय में समेट लेना चाहती है।
66. दुलारी का टुन्नु से पहली बार परिचय कहां और किस रूप में हुआ
उत्तर– दुलारी का टुन्नु से पहली बार परिचय भादो के महीना में तीज के अवसर पर हुआ था दुलारी तीज के अवसर पर खोजवा बाजार में गाने गई थी तथा टुन्नु भी बजरडीहा वाले की ओर से गाने गया था वहीं पर दोनों कजली दंगल में प्रोग्राम देना था पर तू और दुलारी की पहली बार परिचय और मुलाकात हुई थी।
67. कठोर हिरदया समझी जाने वाली दुलारी टू नो की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी
उत्तर– दुलारी को कठोर हृदय वाला समाचार जाता था दुलारी जिस पैसे में थी कठोर हृदय का होना स्वभाविक होता है फिर भी दुलारी टुनु की मृत्यु पर विचलित हो उठते हैं क्योंकि दुलारी के मन में दोनों का एक अलग स्थान था दुलारी ने जान ली थी कि तूने मेरे शरीर से नहीं बल्कि मेरी गायन कला का प्रेमी था इसी कारण दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर विचलित हो उठी।
68. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार दिया
उत्तर– भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार कर और स्वदेशी कपड़ों का प्रयोग कर भारत के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान दें दुलारी ने देश के भक्ति का सम्मान करने के लिए टुनु द्वारा दिया गया खादी की साड़ी को पहनी और उसे प्रेमी के रूप में स्वीकार की तथा सरकारी कार्यक्रम में दोनों के बलिदान पर आंसू बहाए इसके साथ-साथ दोनों ने भी विदेशी वस्तुओं का संग्रह कर इसकी होली जलाई इस प्रकार दुलारी और टुन्नू ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान दिया है।
69. “एही ठैया झूलनी हैरानी हो रामा” का प्रतीक का अर्थ समझाइए।
उत्तर– एही ठैया झूलनी हैरानी हो रामा का शाब्दिक भाव्या है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लोंग खो गई है इसका प्रतिकार किया है कि नाक में पहने जाने वाला लॉन्ग सुहाग का प्रतीक है दुलारी नाक में जो लॉन्ग पहनी थी वह चुन्नू के नाम पर बनी थी जब दोनों की हत्या हो जाती है तब दुलारी नहीं जाती है कि एही ठैया झूलनी हैरानी हो रामा अर्थात मेरा सुहाग इसी स्थान पर टूट गया है।
70. लेखक ने अपने आप को हीरो सीमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया
उत्तर– लेखक ने जापान के हिरोशिमा के सड़क पर घूमते हुए जब जले हुए पत्थर को देखा तब लेखक ने महसूस किया कि अनु बम के विस्फोट से रेडियम धर्मवीर ने उस पत्थर को झुलसा दिया होगा उसी समय वहां पर कोई मानव खड़ा होगा और उसे आप पूरा कर उसकी छाया पत्थर पर डाल दिया होगा उसे देखकर लेखक ने मन में अनुभूति जाग गई इसके मन में अनु विस्फोट का प्रत्यक्ष गिरीश साकार हो उठा उसी समय लेखक अपने आप को हीरो सीमा के विस्फोट का भुगतान महसूस किया।
71. हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहां कहां और किस तरह से हो रहा है
उत्तर– मेरे विचार से हिरोशिमा और नागासाकी पर किया गया अनु बम का विस्फोट की ज्ञान का ध्यानात्मक दुरुपयोग है क्योंकि इस विस्फोट से नगरों की बर्बादी के साथ-साथ मनुष्य भी जलकर राख हो गया पत्थर सड़के भी झुलस गए इस प्रकार हमारे विचार से विज्ञान का दुरुपयोग मारकाट हिंसा अंतर फैलाकर किया जा रहा है विज्ञान आज विश्व अशांति का कारण भी बना हुआ है कभी भी विज्ञान के प्रगति महायुद्ध का रूप धारण कर सकती है दिन प्रतिदिन परमाणु बमों का प्रयोग होने से नगरों का विनाश का कारण हो चुका है इसके प्रयोग से धरती खोखली होती जा रही है।
72. हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत एवं ब्राह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं
उत्तर– हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंत एवं ब्राह्य दबाव का परिणाम है क्योंकि लेखक ने स्वयं जापान के हिरोशिमा नगर जाकर अनुपम की ट्रेजरी को देखा उन्होंने रेडियम पदार्थ से झुमरू हुए लोग अस्पताल में कष्ट झेल रहे हैं उन्हें देखकर दुख का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ यह अनुभूति के रूप में उन्हें कविता की रचना करने में विवश की जो अंत और ब्राह्य दोनों की दबाव का परिणाम है।